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OMG 2 Review: समाज को आईना दिखाती अमित राय की बेहतरीन फिल्म, पंकज त्रिपाठी और यामी गौतम की जिरह ने जीते दिल

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Movie Review
ओएमजी 2 (ओह माय गॉड 2)

कलाकार
पंकज त्रिपाठी
,
यामी गौतम
,
पवन मल्होत्रा
,
अरुण गोविल
,
बृजेंद्र काला
और
अक्षय कुमार

लेखक
अमित राय

निर्देशक
अमित राय

निर्माता
अरुणा भाटिया
,
विपुल डी शाह
,
अश्विन यर्डे
,
अजित अंधारे
,
ज्योति देशपांडे
और
आदि

रिलीज
11 अगस्त 2023

रेटिंग
4/5

पहले तो ये कि फिल्म ‘ओएमजी 2’ यानी कि ‘ओह माय गॉड 2’ अक्षय कुमार की फिल्म नहीं है। ये फिल्म है पंकज त्रिपाठी और यामी गौतम की। अभिनेता अक्षय कुमार यहां उत्प्रेरक की भूमिका में हैं। कैटलिस्ट समझते हैं ना। और, उनके चक्कर में ही ये फिल्म केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड यानी कि सेंसर बोर्ड के निशाने पर भी आई। फिल्म देखने के बाद अगर कोई एक लाइन का रिव्यू इस फिल्म का मुझसे पूछे तो मैं तो यही कहूंगा ये फिल्म देखने वाली परीक्षण समिति यानी सेंसर बोर्ड की एग्जामिनिंग कमेटी के सभी सदस्यों को तत्काल प्रभाव से कार्यमुक्त कर देना चाहिए। सेंसर बोर्ड में सिनेमा की समझ रखने वालों लोगों को रखा जाना चाहिए जो बदलते समाज के बदलते आदर्शों और बदलती सामाजिक जरूरत को समझ सकते हों और इस दिशा में प्रयास करने वाले सिनेमा को प्रोत्साहित करने की सोच रखते हों।

OMG 2 Review in Hindi by Pankaj Shukla Akshay Kumar Pankaj Tripathi Yami Gautam Pavan Malhotra Arun Govil

ओएमजी 2
– फोटो : अमर उजाला, मुंबई

बदलते समय की सच्ची पुकार
फिल्म ‘ओएमजी 2’ बदलते समय की सच्ची पुकार है। जो सत्य है वही सुंदर है जो सुंदर है वही शिव है। सत्यम् शिवम् सुंदरम् की अवधारणा भी यही है। बहुत हल्ला मचता है जब हम नकली समाज की नकली कहानियों पर बनी नकली फिल्में देखते हैं जिनमें दर्शकों को सोचने की दिशा बदलने जैसी कोई बात नहीं होती है और जब बात होती है तो ‘ओएमजी 2’ जैसी फिल्में बनती हैं जिनकी रिलीज के लिए इनके निर्माताओं को पापड़, पूड़ी, पराठे सब बेलने पड़ते हैं। फिल्म को ‘केवल वयस्कों के लिए’ जैसा प्रमाण पत्र देने की जरूरत भी कतई नहीं है। फिल्म सभी किशोरों को देखनी चाहिए और हो सके तो तमाम स्कूलों को अपने आठवीं कक्षा के बाद के सारे बच्चों को ये फिल्म समूह में ले जाकर दिखानी चाहिए।

OMG 2 Review in Hindi by Pankaj Shukla Akshay Kumar Pankaj Tripathi Yami Gautam Pavan Malhotra Arun Govil

ओएमजी 2
– फोटो : अमर उजाला, मुंबई

यौन शिक्षा की जरूरत समझाती फिल्म
एक स्कूल के बहाने ही सही लेकिन सच्ची सामाजिक उद्विगनताओं की बात करती है फिल्म ‘ओएमजी 2’। एक किशोरवय का बच्चा सांस्कृतिक कार्यक्रमों की तैयारियों के बीच अपनी पसंदीदा छात्रा से अलग कर दिया जाता है। छात्रा के दोस्त इस बच्चे का मजाक उड़ाते हैं उसके लिंग के आकार को लेकर उसके मन में शंकाओं का निर्माण कर देते हैं और बच्चा अब पूछे भी तो किससे कि सामान्य लिंग का आकार प्रकार कैसा होता है? वह नीम हकीमों, जड़ी बूटी बेचने वाले बाबाओं के पास भटकता है और फिर एक मेडिकल स्टोर से नकली वियाग्रा खाकर बीमार हो जाता है। स्कूल उसकी इस हरकत को सामाजिक अपराध की संज्ञा देता है। उसके बालमन को समझने की कोशिश कोई नहीं करता। लेकिन, शिव की कृपा होती है। बच्चे का पिता स्कूल के संचालकों, नीम हकीमों, जड़ी बूटी विक्रेताओं और मेडिकल स्टोर संचालक के साथ साथ अपने ऊपर भी मुकदमा कर देता है। असली फिल्म यहां से शुरू होती है।

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ओएमजी 2
– फोटो : अमर उजाला, मुंबई

पूरे परिवार के देखने लायक फिल्म

फिल्म ‘ओएमजी 2’ न्यू मिलेनियल्स कहलाने वाले हर बच्चे के अवश्य देखने लायक फिल्म है। ये फिल्म है उस देश में यौन शिक्षा को वर्जित मानने वाली शिक्षा पद्धति पर जिस देश में कामसूत्र लिखा गया और जिस देश में रचित पंचतंत्र की कहानियों में काम शिक्षा का उल्लेख हुआ। उसी देश में विदेशी शिक्षा पद्धति से चलने वाला शहर का एक नामी स्कूल बच्चे पर लांछन लगाता है। शिवगण को विष पीने को बाध्य करता है। और, ये शिवगण भी इस दौर में आकर रात को महाकाल का प्रसाद पीने के साथ साथ फिल्म ‘गदर’ का गाना भी गाता है। अपने विषय, अपने निर्देशन, अपनी पटकथा और अपने समग्र प्रभाव में फिल्म ‘ओएमजी 2’ एक कमाल की फिल्म है। फिल्म का संगीत कमजोर निकला नहीं तो ये फिल्म फाइव स्टार पाने लायक फिल्म भी हो सकती थी।

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ओएमजी 2
– फोटो : अमर उजाला, मुंबई

अमित राय की सिनेमाई समझ को सलाम

परेश रावल, ओम पुरी और पवन मल्होत्रा को लेकर कोई 13 साल पहले फिल्म ‘रोड टू संगम’ बनाने वाले अमित राय को इस फिल्म के लिए आने वाले समय में एक दिशा निर्देशक (ट्रेंड सेटर) फिल्मकार के रूप में याद किया जाएगा। यौन शिक्षा जैसे वर्जित विषय पर संपूर्ण मनोरंजक फिल्म बनाना अपने आप में मुश्किल काम है, ऊपर से जब ऐसे किसी फिल्मकार को फिल्म की रिलीज के लिए वह सब सहना पड़े जो इस फिल्म की रिलीज से पहले अमित को सहना पड़ा, तो समझ आता है कि बातें हम कितनी भी बड़ी बड़ी कर लें, अपने दौर के किशोरों को समझने में हम नाकाम ही रहे हैं। फिल्म के क्लाइमेक्स में जब जज का बेटा यौन शिक्षा के समर्थन में खड़ा दिखता है तो ये संकेत है कि गुजरती पीढ़ी को नई पीढ़ी के साथ कदम ताल कितना जरूरी है।

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ओएमजी 2
– फोटो : अमर उजाला, मुंबई

पंकज त्रिपाठी के अभिनय का महाकाव्य

फिल्म ‘ओएमजी 2’ में अभिनय के भी नए बिम्ब उभरते हैं। जबरन निष्कासित किए गए एक किशोरवय बालक और एक बालिका पिता के रूप में पंकज त्रिपाठी ने अपनी अभिनय यात्रा का एक महाकाव्य इस फिल्म में पूरा किया है। मैं अक्सर लिखता रहा हूं कि पंकज त्रिपाठी को अपने अभिनय का खांचा तोड़ना जरूरी है और वही उन्होंने इस फिल्म में किया है। मालवा की बोली को आत्मसात करते हुए पंकज त्रिपाठी ने यहां पूरी फिल्म को सिर्फ और सिर्फ अपने अभिनय का चमत्कार बनाया है। बड़ा नाम भले फिल्म में अभिनेता के रूप में अक्षय कुमार का हो लेकिन ये फिल्म पंकज त्रिपाठी की है। साथ में यामी गौतम भी अपने अभिनय का एक नया रूप यहां प्रस्तुत करती दिखती हैं। सिनेमा के संतुलन का वह दूसरा पक्ष हैं जो कुछ कुछ खलनायक के रंग लेते हुए भी अंत में सहृदया वकील के रूप मे परिवर्तित होता दिखता है।

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ओएमजी 2 ट्रेलर
– फोटो : अमर उजाला, मुंबई

साथी कलाकारों का इंद्रधनुष

अमित राय ने फिल्म में अपनी तकनीकी टीम के साथ साथ सहायक कलाकारों का चयन भी बहुत सावधानी के साथ किया है। स्कूल संचालक के रूप में अरुण गोविल, डॉक्टर की भूमिका में बृजेंद्र काला और मेडिकल स्टोर मालिक के रूप में पराग छापेकर का चयन फिल्म की कास्टिंग की जीत है। पवन मल्होत्रा ने जज के रूप में अद्भुत कार्य किया है। अंग्रेजी में ही अदालत चलाने के अभ्यस्त एक जज का जब एक विशुद्ध हिंदी बोलने वाले से पाला पड़ता है तो पूरी बात समझने के लिए जिस तरह वह अपने सहयोगी की मदद लेता है, वे दृश्य फिल्म में हास्य रस की कमी को पूर करते हैं। पूरी फिल्म में मुझे बस एक ही दृश्य आपत्तिजनक लगा और वह है शिवगण के रूप में अक्षय कुमार का पंकज त्रिपाठी के ऊपर नाखूनों का जल छिड़कना, ये कृत्य सनातन संस्कृति में त्याज्य है। वैसे भोले भंडारी के रूप में अक्षय कुमार फबते खूब हैं। हर हर महादेव!

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Written by News Desk

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